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रानी तेरो चिर जियो गोपाल
नंदबाबा ब्रज के राजा हैं तो माता यशोदा ब्रज की रानी हैं । गोपियां लाला को आशीर्वाद देते हुए कहती है—
‘रानी ! तेरा गोपाल चिरंजीवी हो । ये जल्दी से बड़ा होकर सुंदर नवयुवक हो । माता ! ये तुम्हारे पुण्यों से तुम्हारी कोख से जन्मा है । ये समस्त ब्रज का जीवनप्राण है, आंख का तारा है; लेकिन शत्रुओं के हृदय का कांटा है । तमाल वृक्ष की तरह इस श्याम-वर्ण श्रीकृष्ण को देख कर मन को कितना सुख मिलता है । इसकी चरण-रज के लगाने से ही ब्रजवासियों के सारे रोग-शोक और जंजाल मिट जाएंगे ।
गीता में सगुण और निर्गुण भक्ति
गोपियां निर्गुण ब्रह्म से सगुण श्रीकृष्ण को श्रेष्ठ बताती हुई उद्धवजी से कहती हैं—‘हे उद्धव ! आपका अनोखा रूप रहित ब्रह्म हमारे किस काम का है, अर्थात् वह हमारे किसी काम का नहीं है । हमें तो ऐसे सगुण-साकार ब्रह्म की चाह है, जिसे हम देख सकें और जो हमारे बीच रहकर हमारे सभी दैनिक कार्यों में सहायक हो ।’
जिन नैनन श्रीकृष्ण बसे, वहां कोई कैसे समाय
श्रीराधा की पायल सूरदासजी के हाथ में आ गई । श्रीराधा के पायल मांगने पर सूरदासजी ने कहा पहले मैं तुम्हें देख लूं, फिर पायल दूंगा । दृष्टि मिलने पर सूरदासजी ने श्रीराधाकृष्ण के दर्शन किए । जब उन्होंने कुछ मांगने को कहा को सूरदासजी ने कहा—‘जिन आंखों से मैंने आपको देखा, उनसे मैं संसार को नहीं देखना चाहता । मेरी आंखें पुन: फूट जायँ ।’
सांवले सलोने सुंदर श्याम
श्रीराधा की शोभा बढ़ाने के लिए श्रीकृष्ण ने धारण किया श्याम रंग।
बालकृष्ण की विभिन्न बाललीलाएँ और सूरदासजी द्वारा उनका वर्णन
सूरदासजी उच्चकोटि के संत होने के साथ-साथ उच्चकोटि के कवि थे। इन्हें वात्सल्य और श्रृंगार रस का सम्राट कहा जाता है। सूरदासजी अँधे थे परन्तु इन्हें दिव्य दृष्टि प्राप्त थी। जैसा भगवान का स्वरूप होता था, वे उसे अपनी बंद आँखों से वैसा ही वर्णन कर देते थे।
मैया मेरी, चन्द्र खिलौना लैहौं
श्रीकृष्ण की बालहठ लीला
मैया मेरी, चन्द्र खिलौना लैहौं,
धौरी को पय पान न करिहौ, बेनी सिर न गुथेहौं।
मोतिन माल न धरिहौं उर पर, झंगुली कंठ...
श्रीकृष्ण के मोरपंख व गुँजामाला धारण करने का रहस्य
बर्हापीडं नटवरवपु: कर्णयो: कर्णिकारं
बिभ्रद् वास: कनककपिशं वैजयन्तीं च मालाम्।
रन्ध्रान् वेणोरधरसुधया पूरयन् गोपवृन्दै-
र्वृन्दारण्यं स्वपदरमणं प्राविशद् गीतकीर्ति:।।
प्रस्तुत श्लोक में श्रीकृष्ण की अद्भुत मोहिनी शोभा का वर्णन...