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रावण के मानस रोगों की हनुमान जी द्वारा चिकित्सा

अनेक बार बाहर से सुखी और समृद्ध लगने वाले लोग अंदर से अशान्ति की आग में जल रहे होते हैं । रावण के पास अकूत धन-वैभव और अपरिमित शक्ति थी; किंतु उसमें तमोगुण की अधिकता के कारण काम, क्रोध और अहंकार कूट-कूट कर भरा था। इस कारण उसके जीवन में सच्चे सुख का अभाव था ।