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काशी को ‘आनन्दवन’ क्यों कहते हैं ?
जीव का मृत्युकाल निकट आने पर जब भगवान शंकर उस मरणासन्न प्राणी को अपनी गोद में रखकर उसे तारक मन्त्र का उपदेश करने लगते हैं; उस समय अत्यंत करुणामयी देवी अन्नपूर्णा उस मरणासन्न प्राणी की व्याकुलता को देखकर अत्यंत द्रवित हो जाती हैं और कस्तूरी की गंध वाले अपने आंचल से उस प्राणी की हवा करने लगती हैं और उसकी समस्त व्याकुलता दूर कर देती हैं ।
रोग व अकालमृत्यु-भय को मिटाने वाला महामृत्युंजय-मन्त्र
अनिष्टकारक ग्रहों की शान्ति के लिए महामृत्युंजय-मन्त्र की शरण लेने से व्यक्ति जन्म-मृत्यु, जरा, रोग और कर्म-बंधनों से मुक्त हो जाता है।
5 Anmol Mantra Bhagwan Shiv ke | Aaradhika
5 Anmol Bhajan : Mahamrityunjaya Mantra, 1008 Names of Lord Shiva By Anuradha Paudwal , Mantra Pushpanjli · Pujya Bhaishree Rameshbhai Ojha, Om Namah Shivaya Har Har Bhole Namah Shivaya, Om Tatpurushaya Vidmahe | Shiva Rudra Gayatri,