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विश्व-रंगमंच के सूत्रधार श्रीकृष्ण
गांधारी की तेजदृष्टि से वज्र-सी देह होने पर भी क्यों मारा गया दुर्योधन?
क्यों भक्त की चोट भी सहते हैं भगवान
महाभारत-युद्ध में किसको छूते ही वैष्णवास्त्र बन गया वैजयन्तीमाला
मनुष्य का सच्चा साथी कौन है?
नाशवान संसार में केवल धर्म ही अचल है और मनुष्य का सच्चा साथी है।
सूर्य अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्र : युधिष्ठिर को अक्षयपात्र की प्राप्ति
भुवन-भास्कर भगवान सूर्य परमात्मा नारायण के साक्षात् प्रतीक हैं, इसलिए वे सूर्यनारायण कहलाते हैं। श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी विभूतियों का वर्णन करते हुए कहा है--‘ज्योतिषां रविरंशुमान्’ अर्थात् मैं (परमब्रह्म परमात्मा) तेजोमय सूर्यरूप में हूं। सूर्य प्रत्यक्ष देव हैं, इस ब्रह्माण्ड के केन्द्र हैं--आकाश में देखे जाने वाले नक्षत्र, ग्रह और राशिमण्डल इन्हीं की आकर्षण शक्ति से टिके हुए हैं।