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संकट मोचन और चतुर-शिरोमणि हनुमान जी
श्रीरामचरितमानस में जितना भी कठिन कार्य है, वह सब हनुमान जी द्वारा पूर्ण होता है । मां सीता की खोज, लक्ष्मण जी के प्राण बचाना, लंका में संत्रास पैदा करना, अहिरावण-वध, श्रीराम-लक्ष्मण की रक्षा--जैसे अनेक कार्य हनुमान जी ने अपने अद्भुत बुद्धि-चातुर्य से किए । आज भी कितने भी संकट में कोई क्यों न हो, हनुमान जी को जो करुणहृदय से पुकारता है, हनुमान जी उसकी रक्षा अवश्य करते हैं ।
संत-कृपा से ईश्वरीय विधान भी बदल जाता है
भगवान समुद्र हैं तो संत मेघ हैं, भगवान चंदन हैं तो संत पवन हैं । समुद्र जल से भरा रहता है परंतु वह किसी के काम नहीं आता । परंतु बादल जब उसी समुद्र से जल उठा कर समय-समय पर बरसाते हैं तो सारे संसार में आनंद की लहर छा जाती है । इसी तरह परमात्मा सब जगह हैं; परंतु जब तक संतजन उस परमात्मा का सब जगह गुणगान नहीं करते, तब तक लोग उस परमात्मा को नहीं जान सकते । इसलिए मुझे लगता है राम से अधिक राम का दास (संत) है ।
श्री रामचरितमानस के सात काण्ड और उनकी शिक्षा
श्री रामचरितमानस मनुष्य की सबसे बड़ी मार्गदर्शक है । इसके सात काण्ड मनुष्य को अनमोल शिक्षा देकर उसकी सभी प्रकार की उन्नति कराने वाले सोपान हैं । गोस्वामी तुलसीदास जी ने इन्हें सोपान इसलिए कहा है क्योंकि ये राम जी के चरणों तक पहुंचने की सीढ़ियां हैं ।