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कर्मफल : जब यमराज बने दासी-पुत्र विदुर
ब्रह्मा आदि सभी देवता भी कर्म के वश में हैं और अपने किए कर्मों के फलस्वरूप सुख-दु:ख प्राप्त करते हैं । भगवान विष्णु भी अपनी इच्छा से जन्म लेने के लिए स्वतन्त्र होते तो वे अनेक प्रकार के सुखों व वैकुण्ठपुरी का निवास छोड़कर निम्न योनियों (मत्स्य, कूर्म, वराह, वामन) में जन्म क्यों लेते ? सूर्य और चन्द्रमा कर्मफल के कारण ही नियमित रूप से परिभ्रमण करते हैं तथा सबको सुख प्रदान करते हैं, किन्तु राहु के द्वारा उन्हें होने वाली पीड़ा दूर नहीं होती ।