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श्रीगणपति अथर्वशीर्ष : मन-मस्तिष्क को शांत रखने की विद्या
अथर्वशीर्ष शब्द में अ+थर्व+शीर्ष इन शब्दों का समावेश है। ‘अ’ अर्थात् अभाव, ‘थर्व’ अर्थात् चंचल एवं ‘शीर्ष’ अर्थात् मस्तिष्क--चंचलता रहित मस्तिष्क अर्थात् शांत मस्तिष्क। गणपति अथर्वशीर्ष मन-मस्तिष्क को शांत रखने की विद्या है।
श्रीगणेश : कुछ रोचक तथ्य
क्या है श्रीगणेश के विभिन्न अंगों और चढ़ायी जाने वाली वस्तुओं का रहस्य?
गणेशजी का परिवार
गणेशजी की प्रसन्नता के लिए उनके साथ उनके परिवार---पत्नी और पुत्रों का चिन्तन करने से सर्वसिद्धियों का फल मिलता है। अज्ञान और भ्रान्तियों का नाश होता है तथा समस्त मंगल अपने आप उपस्थित हो जाते हैं।
श्रीगणेश से सम्बन्धित प्रचलित लोक कथाएँ
वक्रतुण्ड महाकाय कोटिसूर्य समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरू मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।
गणेश चतुर्थी पर विशेष
गाइये गनपति जगबंदन, संकर-सुवन भवानी-नंदन।
सिद्धि-सदन गज-बदन विनायक, कृपा-सिन्धु सुन्दर सब लायक।
मोदक प्रिय मुद-मंगल दाता, विद्या-बारिधि बुद्धि-बिधाता।।
धन्य धन्य गणेशजी! सारा संसार तुम्हारी वन्दना...