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श्रीगणेश को अंगारकी चतुर्थी क्यों है अति प्रिय ?
विघ्नहर्ता गणेश के प्रसन्न होने से कोई भी चीज मनुष्य के लिए दुर्लभ नहीं रह जाती ! भौम ने ‘अंगारकी चतुर्थी’ का व्रत कर गणेश की आराधना की थी इसलिए वे सशरीर स्वर्ग गए और देवताओं के साथ अमृत का पान किया ।
गणेशजी का परिवार
गणेशजी की प्रसन्नता के लिए उनके साथ उनके परिवार---पत्नी और पुत्रों का चिन्तन करने से सर्वसिद्धियों का फल मिलता है। अज्ञान और भ्रान्तियों का नाश होता है तथा समस्त मंगल अपने आप उपस्थित हो जाते हैं।
श्रीगणेश से सम्बन्धित प्रचलित लोक कथाएँ
वक्रतुण्ड महाकाय कोटिसूर्य समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरू मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।
गणेश चतुर्थी पर विशेष
गाइये गनपति जगबंदन, संकर-सुवन भवानी-नंदन।
सिद्धि-सदन गज-बदन विनायक, कृपा-सिन्धु सुन्दर सब लायक।
मोदक प्रिय मुद-मंगल दाता, विद्या-बारिधि बुद्धि-बिधाता।।
धन्य धन्य गणेशजी! सारा संसार तुम्हारी वन्दना...