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दुर्वासा ऋषि द्वारा भगवान श्रीकृष्ण की माया का दर्शन
भगवान की लीला बड़ी विचित्र है । वे कब कौन-सा काम किस हेतु करेंगे, इसे कोई नहीं जानता । भगवान की प्रत्येक लीला ऐसे ही रहस्यों से भरी होती है । उनकी लीला और महिमा का कोई पार नहीं पा सकता । उनका मूल उद्देश्य अपने भक्तों को आनन्द देना और भवबन्धन से मुक्त करना है ।
भगवान श्रीकृष्ण की अद्भुत अतिथि-सेवा
कृष्णावतार में जरा व्याध ने प्रभास क्षेत्र में मृग के संदेह में जो बाण मारा वह भगवान श्रीकृष्ण के चरण में लगा और भगवान नित्यलीला में प्रविष्ट हो गए । व्याध ने श्रीकृष्ण के तलवे में ही क्यों बाण मारा? इसके पीछे है दुर्वासा ऋषि द्वारा श्रीकृष्ण को दिए गए वरदान की कथा |
भगवान श्रीकृष्ण और माया
माया महा ठगनी हम जानी ।
तिरगुन फांस लिए कर डोले, बोले मधुरे बानी ।।
केसव के कमला वे बैठी, शिव के भवन भवानी ।
पंडा के...