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चातुर्मास में प्रिय वस्तुओं के त्याग का फल
चातुर्मास में जब भगवान विष्णु क्षीरसागर में अनन्त की शैया पर शयन करते हैं तो लक्ष्मीजी अपने करकमलों से उनके चरणों को दबाती है और क्षीरसागर की लहरें उनके चरणों को धोती हैं । अत: इस पुण्यकाल में जो मनुष्य व्रत-नियम लेकर रहते हैं वे मृत्युपर्यन्त विष्णुलोक में निवास करते हैं, उनका पुनर्जन्म नहीं होता है ।