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अक्षय तृतीया पर प्रमुख मन्दिरों में चंदन-यात्रा की झांकी
वृंदावन के प्रमुख मंदिरों में अक्षय तृतीया के दिन भगवान् के विग्रहों को (दोनों नेत्र छोड़कर) चन्दन के लेप से पूरा ढक दिया जाता है और श्रीअंगों को चंदनचित्रों से सजाया जाता है। एक साधारण मानव की तरह भगवान भी वैशाख और ज्येष्ठ मास की भीषण गर्मी से परेशान होकर जलक्रीड़ा और नौका विहार करना चाहते हैं। चंदन-यात्रा जगन्नाथजी की इसी मानवीय लीला का एक जीवन्त रूप है।
भक्ति की मधुरता : चंदन-यात्रा उत्सव
भक्त अपने भगवान की सेवा के अवसर ढूंढता है और रसमय श्रीकृष्ण अपने भक्तों को आनन्द प्रदान करने के लिए लीला करने के अवसर ढूंढते हैं। दोनों में यह अलौकिक स्पर्धा चलती रहती है। भगवान अपने रूप व लीलाओं से भक्त का मन चुराते हैं, और भक्त अपने भाव से ही भगवान को आनन्द देता है। यही भक्ति की मधुरता है।