Home Tags Bhagwat geeta

Tag: bhagwat geeta

सुख-दु:ख और भगवत्कृपा

दु:ख के समय का कोई साथी नहीं होता बल्कि लोग तरह-तरह की बातें बनाकर दु:ख को और बढ़ा देते हैं । ऐसी स्थिति में यह याद रखें कि निन्दा करने वाले तो बिना पैसे के धोबी हैं, हमारे अन्दर जरा भी मैल नहीं रहने देना चाहते । ढूंढ़कर हमारे जीवन के एक-एक दाग को साफ करना चाहते हैं । वे तो हमारे बड़े उपकारी हैं जो हमारे पाप का हिस्सा लेने को तैयार हैं ।

कर्म और पुनर्जन्म

कितना निर्लिप्त रहता है कमल जल से ! पैदा होता है पानी में, बढ़ता-पनपता भी पानी में है, विकसित भी पानी में होता है, पानी में खिलता है, पानी में ही आठों पहर बसता है; परंतु पानी से सर्वथा अछूता, पानी को वह अपने ऊपर ठहरने ही नहीं देता, अपने से चिपकने नहीं देता, पानी आया तुरंत उसे लुढ़का कर फेंक देता है । इसी तरह कमल का आदर्श लेकर मनुष्य को संसार में कर्म करने चाहिए, तब वही कर्म उसके मोक्ष का द्वार खोल देंगे ।