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प्रभु श्रीनाथजी की अत्यंत प्रिय स्तुति
परमात्मा प्रेम चाहते हैं । प्रेम में पागल बने बिना वे मिल नहीं सकते । जिन भक्तों का जीवन प्रभुमय हो, रोम-रोम में भगवान का प्रेम बहता हो, वे भक्त प्रेममय प्रभु की करुणामयी और कृपामयी गोद में बैठने और उनके सखा बनने के अधिकारी बनते हैं ।