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कैसा है श्रीगणेश का दिव्यलोक?

जैसे क्षीरसागर में भगवान नारायण शयन करते हैं वैसे ही श्रीगणेश इक्षुरस के सागर में शोभायमान हैं।

अपने प्रिय भक्तों के संकटहारी श्रीगणेश

संकष्ट चतुर्थी के व्रत से गणपति देते हैं अपार धन और सुख-शान्ति का वरदान

भगवान गणपति के 108 नाम, बनाएं सारे बिगड़े काम

जिस प्रकार भगवान में अनन्त शक्तियां होती हैं, वैसे ही उनके नाम अनन्त शक्तियों से भरे जादू की पिटारी हैं। इसलिए प्रतिदिन चाहे हम गणेशजी की विधिवत् पूजा करें अथवा उनके नामों के पाठ-स्मरण से अपने दिन की शुरुआत करें; अष्टसिद्धि-नवनिधि के दाता श्रीगणेश को प्रसन्नकर हम कार्यों में सफलता, विवेक-बुद्धि एवं सुख-शान्ति व समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं।

श्रीगणेश का वाहन मूषक

श्रीगणेश मूषकवाहन व मूषक-चिह्न की ध्वजा वाले हैं। श्रीगणेश का शरीर विशालकाय है किन्तु उनका वाहन मूषक बहुत छोटा होता है। ऊपरी तौर पर यह बात देखने में बहुत हास्यास्पद लगती है पर इसका बहुत गहन अर्थ है। श्रीगणेश परमब्रह्म की ज्ञानमयी व वांग्यमयी शक्ति का रूप हैं। परमात्मा न तो हल्का है न भारी। वह अणु से भी अणु हैं और महान से भी महान हैं। उसका सभी शरीरों में वास है। प्रत्येक देवता के वाहन-आयुध आदि देवता का ही तेजरूप होता है।

‘एकदन्त’ श्रीगणेश और भगवान विष्णु द्वारा वर्णित श्रीगणेश का नामाष्टक स्तोत्र

रेणुकानन्दन परशुराम द्वारा फरसे से श्रीगणेश का दांत काट देना और श्रीगणेश का ‘एकदन्त’ कहलाना। भगवान विष्णु द्वारा पार्वतीजी का क्रोध शान्त करते हुए श्रीगणेश का नामाष्टक स्तोत्र बताना।

भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी और अभिशप्त चन्द्र

भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को चन्द्रदर्शन निषेध क्यों है?

श्रीगणेश : कुछ रोचक तथ्य

क्या है श्रीगणेश के विभिन्न अंगों और चढ़ायी जाने वाली वस्तुओं का रहस्य?

श्रीगणेश से सम्बन्धित प्रचलित लोक कथाएँ

वक्रतुण्ड महाकाय कोटिसूर्य समप्रभ। निर्विघ्नं कुरू मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।