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51 शक्तिपीठों में शिरोमणि : हिंगलाज शक्तिपीठ
ऐसी मान्यता है कि आसाम की कामाख्या, तमिलनाडु की कन्याकुमारी, कांची की कामाक्षी, गुजरात की अम्बादेवी, प्रयाग की ललिता, विंध्याचल की अष्टभुजा, कांगड़ा की ज्वालामुखी, वाराणसी की विशालाक्षी, गया की मंगला देवी, बंगाल की सुंदरी, नेपाल की गुह्येश्वरी और मालवा की कालिका—इन बारह रूपों में आद्या शक्ति मां हिंगलाज सुशोभित हो रही हैं । कहा जाता है कि हर रात सभी शक्तियां यहां मिल कर रास रचाती हैं और दिन निकलते ही हिंगलाज देवी में समा जाती हैं ।
हरसिद्धि शक्ति पीठ, उज्जैन
मां हरसिद्धि आज भी बहुत सिद्ध मानी जाती हैं । उनकी शरण में जाने पर और मनौती मनाने पर अवश्य ही सबकी मनोकामना पूरी होती है । मां वैष्णवी हैं इसलिए इनकी पूजा में पशु बलि नहीं चढ़ाई जाती है ।
हरसिद्धि मन्दिर में मां का आशीष सदैव झरता रहता है ।
कलियुग में जाग्रत कामाख्या शक्ति पीठ
कामाख्या देवी योगमाया हैं, उन्हें महामाया भी कहते हैं, क्योंकि वे ज्ञानिजनों की भी चेतना को बलात् आकर्षित करके मोहरूपी गर्त में डाल देती हैं । शिव और शक्ति सदैव एक साथ रहते हैं । कामाख्या शक्ति पीठ के भैरव ‘उमानन्द शिव’ हैं । यहां देवी कामाख्या की पूजा-उपासना तन्त्रोक्त आगम-पद्धति से की जाती है ।