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भगवान विष्णु को समर्पित षट्पदी स्तोत्र
सच्चे हृदय से इन नियमों का पालन क्रमश: मनुष्य के मन को सच्ची भक्ति की ओर ले जाता है । इन एक-एक सोपानों पर चढ़ते हुए मन धीरे-धीरे पूर्णता की ओर अर्थात् मोक्ष की ओर अग्रसर होता है ।
हजार नामों के समान फल देने वाले भगवान श्रीकृष्ण के 28...
भगवान श्रीकृष्ण ने कहा—‘मैं अपने ऐसे चमत्कारी 28 नाम बताता हूँ जिनका जप करने से मनुष्य के शरीर में पाप नहीं रह पाता है । वह मनुष्य एक करोड़ गो-दान, एक सौ अश्वमेध-यज्ञ और एक हजार कन्यादान का फल प्राप्त करता है ।
चातुर्मास्य में करें ये कार्य, पायें पुण्य अपार
चातुर्मास्य के चार महीने हल्का सात्विक भोजन करें, शरीर को साफ-सुथरा रखें, भगवान की भक्ति को अपनायें जो आन्तरिक शान्ति देती है, थोड़ा दान-पुण्य करें जिससे आत्मा को संतुष्टि मिलती है, थोड़ा स्वाध्याय (पुराणों का पढ़ना) करें जिससे मनुष्य चिन्तामुक्त हो जाता है ।
भगवान विष्णु का शयनोत्सव
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु ने आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी के दिन शंखासुर दैत्य का वध किया और युद्ध में किए गए परिश्रम से थक कर वे क्षीरसागर में अनन्त शय्या पर शयन करने चले गए ।
श्रीकृष्ण : चितचोर
जिनके करकमल वंशी से विभूषित हैं, जिनकी नवीन मेघकी-सी आभा है, जिनके पीत वस्त्र हैं, अरुण बिम्बफल के समान अधरोष्ठ हैं, पूर्ण चन्द्र के सदृश्य सुन्दर मुख और कमल के से नयन हैं, ऐसे भगवान श्रीकृष्ण को छोड़कर अन्य किसी भी तत्व को मैं नहीं जानता।