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अष्ट सिद्धि के दाता हनुमानजी
हनुमानजी जन्मजात महान सिद्ध योगी हैं । उनके पिता केसरी ने हनुमानजी को प्राणायाम या प्राण-विद्या की साधना गर्भ में ही करा दी थी जिस तरह अभिमन्यु को गर्भ में ही चक्रव्यूह-भेदन का ज्ञान हो गया था । हनुमानजी का चरित्र उस योगी का है जिसने प्राणशक्ति को वशीभूत करके मृत्यु पर विजय प्राप्त कर ली है ।
चंदन, हरिचंदन और गोपीचंदन
चंदन भगवान को बहुत प्रिय है । इसे महाभागवत और सर्वश्रेष्ठ वैष्णव माना जाता है; क्योंकि वह अपने शरीर का क्षय (घिस) कर भगवान के लिए सुगन्धित व शीतलता देने वाला लेप तैयार करता है और एक दिन इसी तरह क्षय होते-होते उसका अंत हो जाता है । उसके इसी त्याग पर रीझ कर भगवान उसे अपने मस्तक व श्रीअंग में धारण करते हैं ।
शिव को अतिप्रिय रुद्राभिषेक और रुद्राष्टाध्यायी
भगवान शिव के मनभावन श्रावणमास में और शिवरात्रि पर प्राय: सभी शिवमन्दिरों में रुद्राभिषेक या रुद्री पाठ की बहार देखने को मिलती...