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भगवान विष्णु का सद्गुरु रूप में ‘दत्तात्रेय’ अवतार

भगवान विष्णु ने दत्तात्रेयजी के रूप में अवतरित होकर जगत का बड़ा ही उपकार किया है । उन्होंने श्रीगणेश, कार्तिकस्वामी, प्रह्लाद, परशुराम आदि को अपना उपदेश देकर उन्हें उपकृत किया । कलियुग में भी भगवान शंकराचार्य, गोरक्षनाथजी, महाप्रभु आदि पर दत्रात्रेयजी ने अपना अनुग्रह बरसाया । संत ज्ञानेश्वर, जनार्दनस्वामी, एकनाथजी, दासोपंत, तुकारामजी—इन भक्तों को दत्तात्रेयजी ने अपना प्रत्यक्ष दर्शन दिया ।

कभी विष्णु कभी शिव बन भक्त को छकाते भगवान

तीन बार ऐसा हुआ कि आंखें बंद करने पर शंकर और आंखें खोलने पर विट्ठल भगवान के दर्शन होते थे । तब नरहरि सुनार को आत्मबोध हुआ कि जो शंकर हैं, वे ही विट्ठल (विष्णु) हैं और जो विट्ठल हैं, वे ही शंकर हैं, दोनों एक ही हरिहर हैं ।

नरसी मेहता को रासलीला का दर्शन

नरसी ने गाने में लिखा—तुमने मुझे जो कटु शब्द कहे, उनके कारण ही मैंने गोलोकधाम में गोपीनाथ का नृत्य देखा और धरती के भगवान ने मेरा आलिंगन किया ।

पंचमुखी हनुमान में है भगवान के पांच अवतारों की शक्ति

पंचमुखी हनुमानजी में भगवान के पांच अवतारों की शक्ति समायी है, इसलिए महानतम ऊर्जा के धनी हनुमानजी कठिन-से-कठिनतम किसी भी कार्य या समस्या को चुटकी बजाते हुए हल कर देते है ।

श्रीकृष्णकृपा से मल मास बन गया पुरुषोत्तम मास

जिसे सबने अपमानित व तिरस्कृत किया हो, उसे अपना बनाकर, अपना नाम व समस्त गुण दे देना; यही है पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान श्रीकृष्ण की शरणागत वत्सलता और यही है मल मास के अत्यन्त पवित्र ‘पुरुषोत्तम मास’ बनने का का रहस्य ।

भगवान विष्णु के चरणों से निकला अमृत है गंगा

गंगा ने ब्रह्मा के कमण्डलु में रहकर, विष्णु के चरण से उत्पन्न होकर और शिवजी के मस्तक पर विराजमान होकर इन तीनों की महिमा बढ़ा रखी है । यदि मां गंगा न होतीं तो कलियुग न जाने क्या-क्या अनर्थ करता और कलयुगी मनुष्य अपार संसार-सागर से कैसे तरता ?