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शिवालय और शिव के विभिन्न प्रतीकों का क्या है रहस्य ?

प्राय: सभी शिव-मन्दिरों में प्रवेश करते ही सबसे पहले नन्दी के दर्शन होते हैं । उसके बाद कच्छप (कछुआ), गणेश, हनुमान, जलधारा, नाग आदि सभी शिव-मन्दिरों में विराजित रहते हैं । भगवान के इन प्रतीकों में बड़ा ही सूक्ष्म-भाव व गूढ़ ज्ञान छिपा है।

अलबेले भगवान शिव और उनका अनोखा घर-संसार

जिनका ऐसा अद्भुत वेष हो और गृह पालन की सामग्री--बूढ़ा बैल, खटिये का पाया, फरसा, चर्म, भस्म, सर्प, कपाल--इतनी कम हो, तो भभूतिया बाबा शंकर के घर बड़ी मुसीबत रहती है जगज्जननी को। गृहस्वामी के पांच मुख, बच्चे गजानन और षडानन, सवारी के लिए बुड्ढा बैल, खाने के लिए भांग-धतूरा, रहने के लिए सूनी दिशाएं, खेलने के लिए श्मशान और आभूषणों के लिए फुफकारते सर्प। ऐसी स्थिति में यदि मां अन्नपूर्णा न होतीं तो भोलेबाबा की गृहस्थी चलती कैसे?