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दस महाविद्याओं की आराधना का पर्व है गुप्त नवरात्रि
गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्या की साधना से साधक की आंतरिक शक्तियों का जागरण होता है । साथ ही हर कार्य में विजय, धन-धान्य, ऐश्वर्य, यश, कीर्ति और पुत्र प्राप्ति के साथ ही मोक्ष की भी प्राप्ति होती है । इसके अतिरिक्त दस महाविद्या की कृपा से मारण, मोहन, उच्चाटन, वशीकरण, स्तम्भन आदि प्रयोग सिद्ध होते हैं ।
करुणामयी मां शताक्षी (शाकम्भरी)
पुत्र कष्ट में हों तो मां कैसे सहन कर सकती है? फिर देवी तो जगन्माता हैं, उनके कारुण्य की क्या सीमा? त्रिलोकी की ऐसी व्याकुलता देखकर मां के अंत:स्तल में उठने वाला करुणा का आवेग अकुलाहट के साथ आंसू की धारा बनकर बह निकला। नीली-नीली कमल जैसी दिव्य आंखों में मां की ममता आंसू बनकर उमड़ आयी। दो आंखों से हृदय का दु:ख कैसे प्रकट होता? जगदम्बा ने कमल-सी कोमल सैंकड़ों आंखें बना लीं। सैंकड़ों आंखों से करुणा के आंसुओं की अजस्त्र धारा बह निकली।। इसी रूप में माता ने सबको अपने दर्शन कराए और जगत में ‘शताक्षी’ (शत अक्षी) कहलाईं। करुणार्द्र-हृदया मां व्याकुल होकर लगातार नौ दिन और नौ रात तक रोती रहीं।