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लक्ष्मीजी ने गोमय को क्यों चुना अपना निवास-स्थान ?
भगवान श्रीकृष्ण को भी आश्चर्य होता था कि सभी प्रकार के ऐश्वर्य, ज्ञान, बल, ऋषि-मुनि, भक्त, राजागण व देवी-देवताओं का सर्वस्व समर्पण–ये सब मेरे पास एक ही साथ कैसे आ गए ? शायद ये मेरी गोसेवा का ही परिणाम है ।
हर प्रकार की अशुभता दूर करने के लिए गाय के अचूक...
गाय के साथ भूलकर भी न करें ये गलतियां—गाय साक्षात् जगदम्बा है अत: कभी भूल कर भी गाय को जूठी वस्तु न खिलाएं । गाय को कभी लांघना नहीं चाहिए । गाय यदि घर पर रखी है तो कभी भी उसे भूखा प्यासा न रखें, न ही उसे धूप में बांधे । गाय के लिए पर्याप्त चारे, पानी व सर्दी-गर्मी से बचाव का ध्यान रखना चाहिए । गौओं को लात व लाठी से न मारें । गौओं को जो लाठी से पीटते हैं उन्हें बिना हाथ का होकर यमलोक जाना पड़ता है ।
श्रीकृष्ण और उनकी प्रिय गायें
भगवान श्रीकृष्ण को गाय अत्यन्त प्रिय है। भगवान ने गोवर्धन पर्वत धारण करके इन्द्र के कोप से गोप, गोपी एवं गायों की रक्षा की। अभिमान भंग होने पर इन्द्र एवं कामधेनु ने भगवान को 'गोविन्द' नामसे विभूषित किया। गो शब्द के तीन अर्थ हैं-इन्द्रियाँ, गाय और भूमि। श्रीकृष्ण इन तीनों को आनन्द देते हैं। गौ, ब्राह्मण तथा धर्म की रक्षा के लिए ही श्रीकृष्ण ने अवतार लिया है।