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श्रीरामचंद्र कृपालु भजु मन
प्रभु श्रीरामचंद्रजी की यह आरती सबके संकटों और पीड़ाओं को हर लेने वाली है । इसके गायन से मनुष्य के दु:ख और पाप जल जाते हैं । यह आरती भक्तों के मन में स्थित अज्ञान के अंधकार को मिटा कर ज्ञान का सुंदर प्रकाश फैला देती है ।
भगवान की आरती क्यों की जाती है ?
आरती शब्द के क्या अर्थ हैं, क्यों की जाती है भगवान की आरती, दोनों हाथों से आरती लेने का क्या भाव है, सच्ची आरती का क्या अर्थ है और क्या है आरती देखने की महिमा
लक्ष्मी प्राप्ति के लिए जलायें संध्या काल में दीपक
संध्या काल प्रकाश रूप परमात्मा से जुड़ने का समय है इसलिए इस समय न तो खाना खाना चाहिए क्योंकि इससे अस्वस्थता आती है, न पढ़ना चाहिए क्योंकि पढ़ा हुआ याद नहीं रहता और न ही काम भावना रखनी चाहिए क्योंकि ऐसे समय के बच्चे आसुरी गुणों के होते हैं ।