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श्रीराम : ‘अवधपुरी सम प्रिय नहिं सोऊ’
भगवान श्रीराम के जन्मस्थान का दर्शन करने से प्रतिदिन सहस्त्रों कपिला गायों के दान का फल मिलता है । माता-पिता और गुरु-भक्ति का जो फल है, वह जन्मस्थान के दर्शन करने मात्र से मिल जाता है ।
हनुमानजी अमर हैं तो अब वे कहां हैं ?
जहां भी रामकथा या रामनाम का कीर्तन होता है, वहां वे गुप्त रूप से सबसे पहले पहुंच जाते हैं । दोनों हाथ जोड़कर सिर से लगाये सबसे अंत तक वहां वे खड़े ही रहते हैं । प्रेम के कारण उनके नेत्रों से बराबर आंसू झरते रहते हैं ।