Tag: सूर्य उपासना
प्रकृति को समर्पित सबसे अनूठा त्यौहार : छठ महापर्व
चढ़ते (उदय होते) व उतरते (अस्त होते) हुए सूर्य—इन दोनों को प्रणाम करने का अर्थ है कि हम समभाव से किसी के उत्कर्ष और अपकर्ष में साथ बने रहते हैं । सूर्य को प्रणाम का अर्थ है अस्त होते यानी बुजुर्गों को सम्मान देने का भाव । सूर्यदेव हमे उष्मा, उर्जा व जीवन में उल्लास प्रदान करते हैं; इसलिए सूर्य को दिए जाने वाले अर्घ्य से हम अपने अंदर की जीवन-अग्नि को जीवित रखते हैं ।
नेत्ररोग दूर करने की रामबाण उपासना ‘चाक्षुषी विद्या’
चाक्षुपोनिषद् सभी प्रकार के नेत्ररोगों को शीघ्र समाप्त करने वाला और नेत्रों को तेजयुक्त करने वाला चमत्कारी मन्त्र है । यह केवल पाठ करने से ही सिद्ध हो जाता है । इसे ‘चाक्षुपोनिषद्’, ‘चक्षुष्मती विद्या’, या ‘चाक्षुषी विद्या’ के नाम से भी जाना जाता है।