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भोग और मोक्ष देने वाली है श्रीविद्या
श्रीविद्या को प्राप्त करने वाले शिवयोगी ब्रह्मानन्द का पान करके इतने मस्त हो जाते हैं कि स्वर्ग के अधिपति इन्द्र को भी अपने से कंगाल समझते है फिर उनके लिए पृथ्वी के राजाओं की तो कोई औकात ही नहीं रहती है । निर्धन रहने पर भी वह सदा संतुष्ट रहता है, असहाय होने पर भी महाबलशाली होता है, उपवासी होने पर भी सदैव तृप्त रहता है । ब्रह्मविद्या के प्रभाव से ऐसा जीवन्मुक्त होकर वह ब्रह्म को ही प्राप्त हो जाता है ।