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अंत मति सो गति
मोह या आसक्ति ही मनुष्य के समस्त दु:खों का कारण है । राजर्षि भरत ने मरणासन्न मृगछौने पर दया करके उसकी रक्षा की, यह तो बड़े पुण्य का कार्य था परन्तु इसमें धीरे-धीरे एक दोष उत्पन्न हो गया, यह उनको पता ही न चला ।