मूलप्रकृति श्रीराधा का सम्पूर्ण परिचय
व्रज में कौन-से चार स्थानों पर ‘राधे-राधे’ ही बोला जाता है?
श्रीकृष्ण की व्रज में आनन्द बांटने की बाललीला
भगवान श्रीकृष्ण व्रज के सुख की टोकरी सिर पर लेकर ढोते हैं और व्रज की गलियों में कहते फिरते हैं--आनंद लो आनंद।
श्रीराधा के चरणचिह्न और उनका भाव
श्रीकृष्ण-स्वामिनी श्रीराधा ने अपने चरणकमलों में सुख देने वाले 19 चिन्हों को धारण किया है।
श्रावणमास में हिंडोले झूलत श्यामा-श्याम
हरियाली तीज पर श्रीराधाकृष्ण की अत्यन्त मनोहर हिंडोला लीला और उसका भाव।
मन को शान्ति देने वाला है श्रीकृष्ण नाम
अठारह पुराणों व ‘महाभारत’ की रचना भी न दे सकी वेदव्यासजी को मन की शान्ति।
भगवान ने भक्त सखूबाई के लिए स्वीकार किया बंधन
जब रुक्मिणीजी ने देखा कि सखू तो मर गई पर मेरे पति इसकी जगह बहू बने बैठे हैं और उसके परिवार की सेवा कर रहे हैं तो मैं तो बुरी तरह फंस गई!
भगवान श्रीकृष्ण की लिलहारी लीला
जब श्रीकृष्ण ने सुना कि श्रीराधा अपने रोम-रोम पर उनका नाम लिखवाना चाहती हैं, तो वे खुशी से बौरा गए। उन्हें अपनी सुध नहीं रही। वे खड़े होकर जोर-जोर से नाचने और उछलने लगे और भूल गए कि वो वृषभानुमहल में एक लालिहारण के वेश में श्रीराधा के सामने ही बैठे हैं।
भगवान विष्णु के तीन नाम, करते हैं रोगों का नाश
सभी रोगों पर समान और निश्चित रूप से कार्य करने वाली महौषधि नामत्रय-मन्त्र।
भगवान जगन्नाथ के अद्भुत स्वरूप का रहस्य
श्रीकृष्णतेज से उत्पन्न इन्द्रनीलमणि श्रीजगन्नाथ विग्रह है। अत: वह साक्षात् वासुदेव कृष्ण हैं। नवकलेवर उत्सव में भगवान जगन्नाथ की दारु मूर्ति के अंदर कृष्णसत्ता पूजन के रूप में इन्द्रनीलमणि मूर्ति प्रतिष्ठित की जाती है।