भगवान विष्णु ने गरुड़ को अपना वाहन क्यों बनाया ?

गरुड़जी भगवान विष्णु के परिकर ही नहीं दास, सखा, वाहन, आसन, ध्वजा, वितान (छतरी, canopy) एवं व्यजन (पंखा) के रूप में जाने जाते हैं । जानें, गरुड़जी को सुपर्ण क्यों कहा जाता है ?

श्रीराधा : एक साधारण गोपी या अलौकिक चरित्र

श्रीकृष्ण ने नंदबाबा ले कहा—कहा--’जैसे दूध में धवलता होती है, दूध और धवलता में कभी भेद नहीं होता; जैसे जल में शीतलता, अग्नि में दाहिका शक्ति, आकाश में शब्द, भूमि में गन्ध, चन्द्रमा में शोभा, सूर्य में प्रभा और जीव में आत्मा है; उसी प्रकार राधा के साथ मुझको अभिन्न समझो । तुम राधा को साधारण गोपी और मुझे अपना पुत्र न जानो । मैं सबका उत्पादक परमेश्वर हूँ और राधा ईश्वरी प्रकृति है ।

भगवान विष्णु का द्वादशाक्षर मन्त्र

द्वादशाक्षर मन्त्र बहुत ही प्रभावशाली मन्त्र है । मनुष्य सत्कर्म करते हुए सोते-जागते, चलते, उठते भगवान के इस द्वादशाक्षर मन्त्र का निरन्तर जप करता है तो वह सभी पापों से छूट कर सद्गति को प्राप्त होता है । लक्ष्मी की बड़ी बहिन अलक्ष्मी (दरिद्रा) भगवान के नाम को सुनकर उस घर से तुरन्त भाग खड़ी होती है ।

श्रीराधा के सोलह नामों की महिमा है न्यारी

जो मनुष्य जीवन भर श्रीराधा के इस सोलह नामों का पाठ करेगा, उसको इसी जीवन में श्रीराधा-कृष्ण के चरण-कमलों में भक्ति प्राप्त होगी । मनुष्य जीता हुआ ही मुक्त हो जाएगा ।

भगवान विष्णु का सद्गुरु रूप में ‘दत्तात्रेय’ अवतार

भगवान विष्णु ने दत्तात्रेयजी के रूप में अवतरित होकर जगत का बड़ा ही उपकार किया है । उन्होंने श्रीगणेश, कार्तिकस्वामी, प्रह्लाद, परशुराम आदि को अपना उपदेश देकर उन्हें उपकृत किया । कलियुग में भी भगवान शंकराचार्य, गोरक्षनाथजी, महाप्रभु आदि पर दत्रात्रेयजी ने अपना अनुग्रह बरसाया । संत ज्ञानेश्वर, जनार्दनस्वामी, एकनाथजी, दासोपंत, तुकारामजी—इन भक्तों को दत्तात्रेयजी ने अपना प्रत्यक्ष दर्शन दिया ।

भगवान विष्णु को समर्पित षट्पदी स्तोत्र

सच्चे हृदय से इन नियमों का पालन क्रमश: मनुष्य के मन को सच्ची भक्ति की ओर ले जाता है । इन एक-एक सोपानों पर चढ़ते हुए मन धीरे-धीरे पूर्णता की ओर अर्थात् मोक्ष की ओर अग्रसर होता है ।

मानसी-सेवा का अद्भुत फल

उस बालक वे बाबा के शरीर को स्नान करा कर चन्दन लगाया, फूलमाला आदि पहना कर उनका पूजन-वंदन किया फिर परिक्रमा कर अंतिम क्रिया की । सभी लोग देखते रह गये, किसी की भी उसे रोकने-टोकने की हिम्मत नहीं हुई । कुछ ही देर बाद वह बालक अदृश्य हो गया ।

हजार नामों के समान फल देने वाले भगवान श्रीकृष्ण के 28...

भगवान श्रीकृष्ण ने कहा—‘मैं अपने ऐसे चमत्कारी 28 नाम बताता हूँ जिनका जप करने से मनुष्य के शरीर में पाप नहीं रह पाता है । वह मनुष्य एक करोड़ गो-दान, एक सौ अश्वमेध-यज्ञ और एक हजार कन्यादान का फल प्राप्त करता है ।

श्रीराधा-कृष्ण की अलौकिक लीला का साक्षी : श्रीराधाकुण्ड

श्रीराधाकृष्ण की लीला के महत्वपूर्ण स्थल हैं—श्रीराधाकुण्ड व श्रीकृष्णकुण्ड । श्रीरूपगोस्वामी ने कहा है—‘ठाकुर के सभी धाम पवित्र हैं पर उनमें भी वैकुण्ठ से मथुरा श्रेष्ठ है, मथुरा से रासस्थली वृन्दावन श्रेष्ठ है, उससे भी श्रेष्ठ गोवर्धन है लेकिन उसमें भी श्रीराधाकुण्ड अपने माधुर्य के कारण सर्वश्रेष्ठ है ।’

शरद पूर्णिमा : जब चन्द्रकिरणों से बरसता है अमृत

इस दिन रात्रि में देवी महालक्ष्मी यह देखने के लिए पृथ्वी पर घूमती हैं कि ‘कौन जाग रहा है’ । जो जाग रहा है उसे धन देती हैं । इस व्रत में ऐरावत पर सवार इन्द्र व महालक्ष्मी का पूजन कर उपवास किया जाता है ।