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भगवान श्रीकृष्ण का उत्तंक मुनि को अपने विश्वरूप के दर्शन कराना
भगवान श्रीकृष्ण प्रसन्न हो गए और उन्होंने उत्तंक मुनि को अपना विराट स्वरूप दिखाया । श्रीकृष्ण के इस रूप में सारा विश्व उनके अंदर दिखाई पड़ रहा था और संपूर्ण आकाश को घेर कर खड़ा हुआ था । हजारों सूर्यों और अग्नि के समान उनका प्रकाश था, बड़ी-बड़ी भुजाएं थीं, सब दिशाओं में उनके अनंत मुख थे ।
भगवान श्रीकृष्ण की विश्वरूप-दर्शन लीला
भगवान श्रीकृष्ण ने अपना विश्वरूप-दर्शन कराकर अर्जुन को यह शिक्षा दी कि मैं ही सब कुछ हूँ, संसार में सब मेरा ही स्वरूप है । मेरे अतिरिक्त जो भी दिखाई देता है, वास्तव में वह भ्रम ही है । अनन्य भक्ति द्वारा ही मैं प्राप्य हूँ; इसलिए जो मेरे लिए कर्म करने वाला, मेरे परायण, मेरा भक्त, अनासक्त तथा सब प्राणियों में वैर रहित होता है; वह ही मुझे प्राप्त होता है ।