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Tag: वसिष्ठ द्वारा रचित दारिद्रयदहन स्तोत्र

दरिद्रता और दु:ख का नाश करने वाला दारिद्रयदहन शिव स्तोत्र

दारिद्रयदहन का अर्थ है दरिद्रता का नाश। दरिद्रता केवल भौतिक ही नहीं, मानसिक भी होती है। आज के कलिकाल में अधिकांश मनुष्य मानसिक दरिद्रता जैसी नकारात्मक भावनाओं--काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद-अहंकार, स्वार्थ, ईर्ष्या-द्वेष, भय आदि से पीड़ित हैं। भगवान शिव की उपासना मनुष्य को भौतिक सुख-समृद्धि के साथ ज्ञान प्रदानकर मन से भी अमीर बना देती है अर्थात् स्वस्थ मन प्रदान करती है क्योंकि भगवान शिव के मस्तक पर चन्द्रमा है और चन्द्रमा मन का कारक है। ‘स्वस्थ मन तो स्वस्थ तन’--यही समस्त सुखों का आधार और दुखों के नाश का उपाय है।