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विश्व-विजेयता रावण बाली से क्यों हार गया ?
अभिमान, घमण्ड, दर्प, दम्भ और अहंकार ही सभी दु:खों व बुराइयों के कारण हैं । जैसे ही मनुष्य के हृदय में जरा-सा भी अभिमान आता है, उसके अन्दर दुर्गुण आ जाते हैं और वह उद्दण्ड व अत्याचारी बन जाता है । लंकापति रावण चारों वेदों का ज्ञाता, अत्यन्त पराक्रमी और भगवान शिव का अनन्य भक्त होते हुए भी अभिमानी होने के कारण किष्किन्धा नरेश बाली से अपमानजनक पराजय को प्राप्त हुआ ।
रावण ने श्रीराम से ही नहीं कौसल्या से भी निभाया वैर
संसार में सभी भयों में मृत्य का भय सबसे बड़ा माना गया है । सांसारिक विषयी पुरुष के लिए शरीर ही सब कुछ होता है; इसीलिए मृत्यु निकट जान कर मनुष्य अपना विवेक और धैर्य खो देता है । न तो उसे अच्छे-बुरे का ज्ञान रहता है, न ही उसे भूख-प्यास लगती है; साथ ही रात-दिन का चैन भी समाप्त हो जाता है ।