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भगवान विट्ठल और भक्त कान्होपात्रा
यह कहते-कहते कान्होपात्रा की देह अचेतन हो गई । उसमें से एक ज्योति निकली और वह भगवान की ज्योति में मिल गई । कान्हूपात्रा की अचेतन देह भगवान पण्ढरीनाथ के चरणों पर आ गिरी । कान्होपात्रा की अस्थियां मंदिर के दक्षिण द्वार पर गाड़ी गईं । मंदिर के समीप कान्होपात्रा की मूर्ति खड़ी-खड़ी आज भी पतितों को पावन कर रही है ।