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जिन्ह कें रही भावना जैसी प्रभु मूरति तिन्ह देखी तैसी
जिसके पास जैसा भाव है, उसके लिए भगवान भी वैसे ही हैं । वे अन्तर्यामी मनुष्य के हृदय के भावों को जानते हैं। जो मनुष्य सहज रूप में अपना तन, मन, धन और बुद्धि अर्थात् सर्वस्व प्रभु पर न्योछावर कर देता है, भगवान भी उसे उसी रूप में दर्शन देकर भावविभोर कर देते हैं ।
श्री रामचरितमानस के सात काण्ड और उनकी शिक्षा
श्री रामचरितमानस मनुष्य की सबसे बड़ी मार्गदर्शक है । इसके सात काण्ड मनुष्य को अनमोल शिक्षा देकर उसकी सभी प्रकार की उन्नति कराने वाले सोपान हैं । गोस्वामी तुलसीदास जी ने इन्हें सोपान इसलिए कहा है क्योंकि ये राम जी के चरणों तक पहुंचने की सीढ़ियां हैं ।