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जिन्ह कें रही भावना जैसी प्रभु मूरति तिन्ह देखी तैसी
जिसके पास जैसा भाव है, उसके लिए भगवान भी वैसे ही हैं । वे अन्तर्यामी मनुष्य के हृदय के भावों को जानते हैं। जो मनुष्य सहज रूप में अपना तन, मन, धन और बुद्धि अर्थात् सर्वस्व प्रभु पर न्योछावर कर देता है, भगवान भी उसे उसी रूप में दर्शन देकर भावविभोर कर देते हैं ।