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सती और पार्वती जी के अज्ञानता के अभिनय से हुआ श्रीरामचरितमानस...
सती और पार्वती जी ने अपने अज्ञान का अभिनय कर भगवान शंकर के हृदय में छिपी अनमोल वस्तु ‘श्रीरामचरितमानस’ मानव के कल्याण के लिए संसार को दिला दी ।
भूमि दोष का मनुष्य के विचारों पर प्रभाव
श्रीराम ने लक्ष्मण जी से कहा—‘यह वही भूमि है, जहां सुन्द और उपसुन्द आपस में युद्ध करके मरे थे; इसलिए इस भूमि में वैर के संस्कार है । भूमि दोष का असर मनुष्य के मन पर होता है ।’ अशुद्ध भूमि के कारण भी मनुष्य का मन भक्ति में नहीं लगता । जो भूमि पवित्र होती है, वहां भक्ति फलती-फूलती है ।
सीताजी का गायत्री-मन्त्र और 10 नाम की महिमा
श्रीरामवल्लभा सीताजी जीवों के लिए सभी प्रकार के श्रेय को देने वाली हैं । उन की कृपा से जीव भौतिक सुख और साधन पाकर इस संसार में सभी प्रकार की समृद्धियों का उपभोग करता है और लौकिक आनंद से आह्लादित होता है । यही सीताजी की महिमा है ।
सीताजी को किसके शाप के कारण श्रीराम का वियोग सहना पड़ा...
सीताजी के जीवन में आने वाले विरह दु:ख का बीज उसी समय पड़ गया । इसी वैर भाव का बदला लेने के लिए वही तोता अयोध्या में धोबी के रूप में प्रकट हुआ और उसके लगाये लांछन के कारण सीताजी को वनवास भोगना पड़ा ।