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शिवलिंग के पूजन से श्रीकृष्ण और अर्जुन को अजेयता की प्राप्ति
‘जयद्रथ को यदि सूर्यास्त के पहले न मार सकूं तो मैं चिता-प्रवेश’ करुंगा’—ऐसी प्रतिज्ञा जब अर्जुन ने की, तब सारी रात भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को शिवलिंग-पूजन में लगा कर उसे पाशुपतास्त्र पुन: प्राप्त कराया ।
‘मेरे रथ के आगे यह त्रिशूलधर कौन हैं ?’ युद्धभूमि में जब अर्जुन ने भगवान श्रीकृष्ण से इस प्रकार पूछा, तब श्रीकृष्ण ने कहा—‘जिसकी तू आराधना करता है, वही तेरी रक्षा के लिए यहां उपस्थित हैं और उन्हीं की कृपा से सब जगह तेरी विजय होती है ।’