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देवर्षि नारद द्वारा भगवान श्रीकृष्ण के गृहस्थ जीवन का दर्शन
भगवान की लीलाओं को पढ़ने-सुनने का अभिप्राय यह है कि उनकी भक्ति हमारे हृदय में आये । जैसे सुगंधित चीज को नाक से सूंघने पर, स्वादिष्ट चीज को जीभ से चखने पर और सुंदर चीज को आंखों से देखने पर उससे अपने-आप ही प्रेम हो जाता है; वैसे ही बार-बार भगवान की लीला कथाओं को पढ़ने-सुनने से भगवान से अपने-आप प्रेम हो जाता है । भगवान श्रीकृष्ण की प्रत्येक दिव्य लीला के पीछे मानव के कल्याण की ही भावना निहित थी ।