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भगवान श्रीकृष्ण के वेणुनाद का माधुर्य
वंशी की इस उन्मादक स्वर-लहरी के स्पर्श से अपने को कौन नहीं भूल जाता? इसी के द्वारा सारे जगत का चुम्बन कर श्रीकृष्ण एक गुदगुदी उत्पन्न किया करते हैं, प्राणियों के सोये हुए प्रेम को जगाया करते हैं। श्रीकृष्ण जब वंशी में रस भरते हैं, उस समय ऊपर आकाश का दृश्य भी देखने-योग्य होता है। यह ध्वनि केवल वृन्दावन को ही झंकृत करके नहीं रह गई अपितु अंतरिक्ष को भेदते हुए इसने वैकुण्ठ को आत्मसात कर लिया और पाताल को प्रकम्पित करती हुई नीचे चली गई। समस्त ब्रह्माण्ड का भेदन करती हुई यह वेणुध्वनि सब जगह व्याप्त हो गई।