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संत-कृपा से ईश्वरीय विधान भी बदल जाता है

भगवान समुद्र हैं तो संत मेघ हैं, भगवान चंदन हैं तो संत पवन हैं । समुद्र जल से भरा रहता है परंतु वह किसी के काम नहीं आता । परंतु बादल जब उसी समुद्र से जल उठा कर समय-समय पर बरसाते हैं तो सारे संसार में आनंद की लहर छा जाती है । इसी तरह परमात्मा सब जगह हैं; परंतु जब तक संतजन उस परमात्मा का सब जगह गुणगान नहीं करते, तब तक लोग उस परमात्मा को नहीं जान सकते । इसलिए मुझे लगता है राम से अधिक राम का दास (संत) है ।