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भगवान विष्णु के वक्ष:स्थल पर स्थित भृगु-रेखा
भगवान विष्णु के हृदय पर भृगु-चिह्न रेखा को भृगु-लांछन चिह्न क्यों कहते है ?
मनुष्य के पतन का सबसे बड़ा कारण है अभिमान
अभिमान सबको दु:ख देता है । भगवान श्रीकृष्ण की आठ पटरानियों में सबसे सुन्दर जाम्बवती थीं । जाम्बवती के पुत्र साम्ब बलवान होने के साथ ही अत्यन्त रूपवान भी थे । इस कारण साम्ब बहुत अभिमानी हो गए । अपनी सुन्दरता का अभिमान ही उनके पतन का कारण बना ।
मानव शरीर एक देवालय है
परब्रह्म परमात्मा ने जब विश्व की रचना की, तब वैसा ही मनुष्य का शरीर भी बनाया—‘यद् ब्रह्माण्डे तत् पिण्डे’ । वैसे तो परमात्मा ने अपनी माया से चौरासी हजार योनियों की रचना की, परन्तु उन्हें संतोष न हुआ । जब उन्होंने मनुष्य शरीर की रचना की को वे बहुत प्रसन्न हुए; क्योंकि मनुष्य ऐसी बुद्धि से युक्त है जिससे वह परमात्मा का साक्षात्कार कर सकता है ।
विराट् पुरुष या आदि पुरुष
ब्रह्मा से लेकर तृणपर्यन्त समस्त चराचर जगत--जो प्राकृतिक सृष्टि है, वह सब नश्वर है । तीनों लोकों के ऊपर जो गोलोक धाम है, वह नित्य है । गोलोक में अन्दर अत्यन्त मनोहर ज्योति है; वह ज्योति ही परात्पर ब्रह्म है । वे परमब्रह्म अपनी इच्छाशक्ति से सम्पन्न होने के कारण साकार और निराकार दोनों रूपों में अवस्थित रहते हैं । ब्रह्माजी की आयु जिनके एक निमेष (पलक झपकने) के बराबर है, उन परिपूर्णतम ब्रह्म को ‘कृष्ण’ नाम से पुकारा जाता है ।
मथुरा जहां पूजे जाते हैं मृत्युदेवता ‘यमराज’
मथुरा नगरी को तीन लोक से न्यारा कहा गया है; क्योंकि यहां मृत्यु के देवता यमराज जिन्हें ‘धर्मराज’ भी कहते हैं, का मंदिर है । पूरे कार्तिक मास कार्तिक-स्नान करने वाली स्त्रियां यमुना-स्नान कर उनकी पूजा करती हैं ।
जिस प्रकार पूरे विश्व में ब्रह्माजी का मंदिर केवल पुष्कर (राजस्थान) में है; उसी प्रकार यमराज का मंदिर संसार में केवल मथुरा में है और वे यहां इस मंदिर में अपनी बहिन यमुना के साथ विराजमान हैं । मथुरा में यह मंदिर ‘विश्राम घाट’ पर स्थित है ।