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हनुमानजी की पूजाविधि और सिद्ध मन्त्र
हनुमानजी को किस समय किस वस्तु का नैवेद्य लगाना चाहिए
श्रीराम के बालरूप के दर्शन के लिए शंकरजी की मदारी-वानर लीला
बालक श्रीराम, मदारी शंकर और वानररूप हनुमान
श्रीराम के लिए हनुमानजी ने धारण किए विविध रूप
वानर होने पर भी दास्य-भक्ति के प्रताप से हनुमानजी देवता बन गए।
हनुमानजी को तत्काल प्रसन्न करने वाले उनके बारह नाम
अष्टसिद्धि-नवनिधि के दाता हनुमानजी के भय व क्लेशों से रक्षा करने वाले चमत्कारी 12 नाम
श्रीराम की सेवा के लिए शंकरजी ने लिया हनुमान का अवतार
हनुमन्नाटक के एक प्रसंग में रावण मन-ही-मन यह सोचता है कि मेरे दसों सिरों को चढ़ाने से शिवजी तो प्रसन्न हो गए, परन्तु एकादश रुद्र को मैं संतुष्ट न कर सका (हनुमानजी ग्यारहवें रुद्र के अंश माने जाते हैं); क्योंकि मेरे पास ग्यारहवां सिर था ही नहीं। इसी कारण शिवकोप से ही मेरी लंका का दहन हुआ। मैंने शिव और रुद्र में भेद किया, मेरी मति मारी गयी थी जो मैंने ऐसा किया।