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विभिन्न कार्यों को करते समय भगवान के विभिन्न नामों का स्मरण
विभिन्न रुचि, प्रकृति और संस्कारों के मनुष्यों के लिए भगवान ने स्वयं को अनेक नामों से व्यक्त किया है । प्रत्येक नाम का अर्थ वह परमात्मा ही है। भगवान विविध नामों में और विचित्र रूपों में अवतीर्ण होकर विचित्र भाव और रस के खेल खेलकर माया से मोहित सांसारिक जीवों को अपनी ओर आकर्षित करते है और उनको सब प्रकार के दुखों से मुक्त करके अपना परमानन्द देने का प्रयास करते हैं । इससे अधिक उनकी करुणा का परिचय क्या हो सकता है ?
‘एकदन्त’ श्रीगणेश और भगवान विष्णु द्वारा वर्णित श्रीगणेश का नामाष्टक स्तोत्र
रेणुकानन्दन परशुराम द्वारा फरसे से श्रीगणेश का दांत काट देना और श्रीगणेश का ‘एकदन्त’ कहलाना। भगवान विष्णु द्वारा पार्वतीजी का क्रोध शान्त करते हुए श्रीगणेश का नामाष्टक स्तोत्र बताना।