Home Tags Brahma

Tag: brahma

सप्तर्षियों के पूजन का पर्व है ऋषि पंचमी

श्रीमद्भागवत के अनुसार सप्तर्षि भगवान श्रीहरि के अंशावतार अथवा कलावतार हैं; इसलिए ब्रह्मतेज और करोड़ों सूर्य की आभा से संपन्न हैं । गृहस्थ होते हुए भी ये मुनि-वृत्ति से रहते हैं । आकाश में सप्तर्षिमण्डल समस्त लोकों की मंगलकामना करते हुए भगवान विष्णु के परम पद ध्रुव लोक की प्रदक्षिणा किया करता है ।

अन्य देवताओं की तरह ब्रह्माजी की पूजा क्यों नहीं की जाती...

भगवान ब्रह्मा त्रिदेवों में सबसे पहले आते हैं । ये लोकपितामह होने के कारण सभी के कल्याण की कामनाकरते हैं क्योंकि सभी इनकी प्रजा हैं । देवी सावित्री और सरस्वतीजी के अधिष्ठाता होने के कारण ज्ञान, विद्या व समस्त मंगलमयी वस्तुओं की प्राप्ति के लिए इनकी आराधना बहुत फलदायी है । वे ही ‘विधाता’ कहलाते हैं ।

भगवान विष्णु के चरणों से निकला अमृत है गंगा

गंगा ने ब्रह्मा के कमण्डलु में रहकर, विष्णु के चरण से उत्पन्न होकर और शिवजी के मस्तक पर विराजमान होकर इन तीनों की महिमा बढ़ा रखी है । यदि मां गंगा न होतीं तो कलियुग न जाने क्या-क्या अनर्थ करता और कलयुगी मनुष्य अपार संसार-सागर से कैसे तरता ?

परब्रह्म परमात्मा श्रीकृष्ण से सृष्टि का आरम्भ

यह अनंत ब्रह्माण्ड परब्रह्म परमात्मा का खेल है। जैसे बालक मिट्टी के घरोंदे बनाता है, कुछ समय उसमें रहने का अभिनय करता है और अंत मे उसे ध्वस्त कर चल देता है। उसी प्रकार परब्रह्म भी इस अनन्त सृष्टि की रचना करता है, उसका पालन करता है और अंत में उसका संहारकर अपने स्वरूप में स्थित हो जाता है। यही उसकी क्रीडा है, यही उसका अभिनय है, यही उसका मनोविनोद है, यही उसकी निर्गुण-लीला है जिसमें हम उसकी लीला को तो देखते हैं, परन्तु उस लीलाकर्ता को नहीं देख पाते।