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व्रज में परमात्मा श्रीकृष्ण के अटपटे नाम
जानें श्रीकृष्ण के व्रज में मधुररस से भरे विभिन्न नाम कौन-से हैं
जहां देखो वहां मौजूद कृष्ण प्यारा है
गीता के वचन ‘वासुदेव: सर्वम्’ के अनुसार यशोदाजी को श्रीकृष्ण के मुख में हुए ब्रह्माण्ड के दर्शन
भगवान श्रीकृष्ण की वंशी के हैं रूप अनेक
गौचारण और रास के समय श्रीकृष्ण धारण करते हैं अलग प्रकार की बाँसुरी
सुख-दु:ख में सम रहने की अद्भुत कला सिखलाता है श्रीकृष्ण का...
गीता का समता योग बतलाता है संसार में जीने की कला
नंद घर आनन्द भयौ जय कन्हैयालाल की
जन्माष्टमी पर ‘नंद घर आनन्द भयौ जय कन्हैयालाल की’ क्यों कहा जाता है?
श्रीकृष्ण की व्रज में आनन्द बांटने की बाललीला
भगवान श्रीकृष्ण व्रज के सुख की टोकरी सिर पर लेकर ढोते हैं और व्रज की गलियों में कहते फिरते हैं--आनंद लो आनंद।
भगवान ने भक्त सखूबाई के लिए स्वीकार किया बंधन
जब रुक्मिणीजी ने देखा कि सखू तो मर गई पर मेरे पति इसकी जगह बहू बने बैठे हैं और उसके परिवार की सेवा कर रहे हैं तो मैं तो बुरी तरह फंस गई!