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श्रीलड्डूगोपाल की पूजा की सरल विधि
‘योगी जिन्हें ‘आनन्द’ कहते हैं, ऋषि-मुनि ‘परमात्मा’ कहते हैं, संत ‘भगवान’ कहते हैं, उपनिषद् ‘ब्रह्म’ कहते हैं, वैष्णव ‘श्रीकृष्ण’ कहते हैं और माताएं व बहनें प्यार से ‘गोपाल’, ‘लाला’ या ‘लड्डूगोपाल’ कहती हैं, वह एक ही तत्त्व है । ये सब अनेक नाम एक ही परब्रह्म के हैं ।’
विश्व-रंगमंच के सूत्रधार श्रीकृष्ण
गांधारी की तेजदृष्टि से वज्र-सी देह होने पर भी क्यों मारा गया दुर्योधन?
क्यों भक्त की चोट भी सहते हैं भगवान
महाभारत-युद्ध में किसको छूते ही वैष्णवास्त्र बन गया वैजयन्तीमाला
व्रज में परमात्मा श्रीकृष्ण के अटपटे नाम
जानें श्रीकृष्ण के व्रज में मधुररस से भरे विभिन्न नाम कौन-से हैं
व्रज में श्रीराधा का जन्मोत्सव
व्रजराज नन्द के घर यदि श्रीकृष्ण प्रकट हुए हैं तो गोपराज वृषभानु के घर श्रीराधारानी का प्राकट्य निश्चित है क्योंकि आह्लादिनी के बिना आह्लाद आता ही नहीं है।
नंद घर आनन्द भयौ जय कन्हैयालाल की
जन्माष्टमी पर ‘नंद घर आनन्द भयौ जय कन्हैयालाल की’ क्यों कहा जाता है?
श्रीकृष्ण की व्रज में आनन्द बांटने की बाललीला
भगवान श्रीकृष्ण व्रज के सुख की टोकरी सिर पर लेकर ढोते हैं और व्रज की गलियों में कहते फिरते हैं--आनंद लो आनंद।
मन को शान्ति देने वाला है श्रीकृष्ण नाम
अठारह पुराणों व ‘महाभारत’ की रचना भी न दे सकी वेदव्यासजी को मन की शान्ति।