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कर्मयोग के प्रथम श्रोता भगवान सूर्य देव
अर्जुन ने आश्चर्यचकित होकर भगवान से पूछा—‘सूर्य का जन्म तो आपके जन्म से बहुत पहले हुआ था; इसलिए यह कैसे माना जाए कि आपने यह विद्या सूर्य को दी थी ?’ भगवान श्रीकृष्ण ने कहा—‘अर्जुन ! मेरे और तुम्हारे दोनों के अनेक जन्म हो चुके हैं । मैं उन सबको जानता हूँ; किंतु तुम नहीं जानते ।’