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श्रीराधा महिमा
जैसे कुम्हार मिट्टी के बिना घड़ा नहीं बना सकता तथा जैसे सुनार सोने के बिना आभूषण तैयार नहीं कर सकता, उसी प्रकार मैं तुम्हारे बिना सृष्टिरचना में समर्थ नहीं हो सकता। तुम सृष्टि की आधारभूता हो और मैं बीजरूप हूँ। जब मैं तुमसे अलग रहता हूँ, तब लोग मुझे ‘कृष्ण’ (काला-कलूटा) कहते हैं और जब तुम साथ हो जाती हो तब वे ही लोग मुझे ‘श्रीकृष्ण’ (शोभाशाली कृष्ण) कहते हैं।
श्रीकृष्णप्राणेश्वरी श्रीराधा
श्रीराधा कौन हैं? श्रीराधा हैं--श्रीकृष्ण का सुख। श्रीराधा हैं--श्रीकृष्ण का आनन्द। भगवान का आनन्दस्वरूप ही श्रीराधा के रूप में अभिव्यक्त है। श्रीराधा न हों तो श्रीकृष्ण के आनन्दरूप की सिद्धि ही न हो। श्रीराधा चिदानन्द परमात्मा की मौज हैं, अन्तर का आह्लाद हैं, उसी आह्लाद की प्रकटरूपा श्रीराधा हैं।