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शिव-स्तुतियों में विशेष शिव ताण्डव स्तोत्र की कथा, अर्थ व लाभ
भगवान शिव ने अपने पैर के अंगूठे से कैलास पर्वत को दबा दिया । दशानन का कंधा और हाथ पर्वत के नीचे दब गए तो वह जोर-जोर से रुदन करने लगा । पार्वतीजी के कहने पर भगवान ने अपने पैर का अंगूठा पर्वत से उठा लिया । दीर्घकाल तक रुदन करते-करते उसने भगवान शंकर की स्तुति की, जो ‘ताण्डव स्तुति’ के नाम से प्रसिद्ध है ।