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शिवरात्रि पर शिवपूजन की विधि
भगवान शिव के षोडशोपचार अर्थात् सोलह उपचारों से पूजा की सामग्री व विधि दी जा रही है। अपने समय, स्वास्थ्य व सामर्थ्य के अनुसार जैसे भी बने, पूजा की जा सकती है। भगवान सदाशिव की पूजा जहां एक ओर राजसी उपचारों व वैभव से की जाती है; वहीं दूसरी ओर वह केवल जल, अक्षत, बिल्वपत्र और मुखवाद्य (मुख से बम-बम भोले की ध्वनि) से ही पूरी हो जाती है। शिवजी की प्रसन्नता के लिए गाल बजाना भी श्रेष्ठ माना गया है; इसीलिए वे ‘आशुतोष’ कहे जाते हैं।