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व्रज के ठाकुर श्रीकृष्ण

आनन्द-अवतार श्रीकृष्ण में माधुर्य, सौन्दर्य और प्रेम का सुन्दर समावेश हुआ है। उनका धाम व्रजभूमि जो गोलोक के समान है, उसकी मीठी व्रजभाषा, उनकी नित्य किशोर वयस, वस्त्रों में सर्वश्रेष्ठ पीताम्बर, सबसे निराला मोरमुकुट, घुटनों तक शोभायमान वनमाला, पशुओं में सबसे उत्तम पशु गौ, वाद्यों में मधुर वाद्य मुरली, भोज्य-पदार्थों में मधुरतम माखन, वृक्षों में सुन्दर कदम्ब का वृक्ष, सरिताओं में मनोहर यमुनानदी--ये सभी उनके अवतार के सुन्दर योग थे।